हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय Class 12 Biography of Harivansh Rai Bachchan Class 12
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हरिवंश राय बच्चन कौन है Who is Harivansh Rai Bachchan
हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के छायावादी युग के अस्थायी कवि माने जाते हैं, इनकी कविताओं में मानसिक भावनाओं की सहज और स्वभाविक अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।
बच्चन ने हिंदी साहित्य को जो रचनाएं प्रदान की हैं, उनमें सहजता सरलता और स्वाभाविकता का चित्रण साफ-साफ दिखाई देता है। उनकी इसी प्रकार की विशेषताओं को देखते हुए डॉ. नरोत्तम जी ने कहा है, कि
जीवन की मौलिक भावनाओं का व्यक्तिगत रूप में प्रबल संवेदन करते हुए उन्हीं के अनुरूप प्रकृति अथवा जीवन के सरल एवं व्यापक तथ्यों का समाधीकरण करना बच्चन जी की काव्य चेतना की मूलभूत विशेषता है।
हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय Biography of Harivansh Rai Bachchan
हरिवंश राय बच्चन का जन्म एक सम्मानित कायस्थ परिवार में 27 नवम्बर 1907 को हुआ था। उनके पिताजी का नाम प्रताप नारायण मिश्र था, जबकि उनकी माता जी का नाम सरस्वती देवी था।
हरिवंशराय बच्चन को बच्चन नाम उनके परिवार में उनकी बाल्यावस्था में मिला था। तबसे उनको बच्चन कहा जाता है। हरिवंश राय बच्चन के जीवन पर उनके माता-पिता की धार्मिक प्रवृतियों और रुचियों का गहरा प्रभाव पड़ा था। हरिवंश राय बच्चन जी ने
अपनी प्रारंभिक शिक्षा कायस्थ समाज की पाठशाला से शुरू की बाद में उच्च शिक्षा वाराणसी और प्रयागराज से प्राप्त की। प्रयागराज विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.ए. अंग्रेजी विषय से किया और इसके पश्चात उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी (PHD) की
उपाधि अंग्रेजी साहित्य से प्राप्त की। अपना अध्ययन समाप्त करने के पश्चात हरिवंश राय बच्चन ने अपनी सेवाएँ कई वर्षों तक प्रोफेसर के पद पर रहते हुए प्रयाग विश्वविद्यालय में दी। एक लंबे समय तक यह आकाशवाणी कार्यक्रम से भी जुड़े रहे
और 1955 में यह विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ होकर दिल्ली चले गए और उन्हें 1966 में राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया। हरिवंश राय बच्चन एक वीर और साहसी पुरुष थे जब वे युवावस्था में प्रवेश किए तो वह भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में कुंद पड़े और विभिन्न प्रकार के क्रांतिकारी कार्य पूर्ण किए।
उनका विवाह 19 वर्ष की अवस्था में श्यामा बच्चन से हुआ, किन्तु इनकी पत्नी की मृत्यु होने पर वे बिल्कुल टूट गए जब समय के साथ उनका दूसरा विवाह पंजाबन तेजी सूरी से हुआ तब उन्होंने अपने जीवन की गाड़ी को फिरसे जीवन की राह में चलाना शुरू कर दिया,
जिससे उनको एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसे पूरी दुनियाँ अमिताभ बच्चन के नाम से जानती है। 18 जनवरी 2003 में हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु सांस की बीमारी के वजह से मुंबई में हो गयी।
हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ Composition of Harivansh Rai Bachchan
हरिवंश राय बच्चन ने अपने जीवन में कई प्रकार की रचनाएँ हिंदी साहित्य को प्रदान की हैं, जिनमें सबसे पहले उनकी रचना तेरा हार है, जो 1932 में प्रकाशित हुई थी। इसके अलावा उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ निम्न प्रकार है:-
- मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश :- हरिवंश राय बच्चन की यह रचनाएँ सबसे प्रमुख रचनाएं हैं, जो एक के बाद एक लगातार प्रकाशित होती रही हैं। इस प्रकार की रचनाओं में प्यार सनक की झलक देखने को मिलती है। बताया जाता है, उनकी यह रचनाएँ गम को भुलाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- निशा निमंत्रण तथा एकांत संगीत :- हरिवंश राय बच्चन की जीवन की प्रमुख रचनाओं में निशा निमंत्रण और एकांत संगीत का भी प्रमुख स्थान है, रचनाओं में हृदय की कवि की पीड़ा की झांकी साफ साफ नजर आती है।
- सतरंगिनी और मिलयामिनी :- हरिवंश राय बच्चन की जीवन की यह रचनाएँ उत्साह से भरी है, जबकि इनमें श्रृंगार रस का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
इन रचनाओं के आलावा हरिवंश राय बच्चन ने प्रणय पत्रिका, आकुल अंतर, बुद्ध का नाचघर, आरती अँगारे जैसी विभिन्न रचनाएँ कई गीत, आत्मकथाएँ तथा कविताएँ प्रदान की हैं।
हरिवंश राय बच्चन की भाषा शैली Bhasha shaily of Harivansh Rai Bachchan
हरिवंश राय बच्चन अस्थाई छायावादी है, उन्होंने अपने काव्य में प्रमुख रूप से सहज, सरल, श्रृंगारपरक भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने अपनी सहज सरल भाषा के माध्यम से जीवन में होने वाले विभिन्न
पीड़ादायक कष्टों को अभिव्यक्ति के दृष्टि पटल पर उतारने की कोशिश की है। उनकी भाषा प्रमुख रूप से खड़ी बोली है, जो तत्सम तथा तद्भव शब्दों के साथ उर्दू, फारसी, अंग्रेजी भाषा के शब्दों के साथ देखने को मिलती है।
हरिवंश राय बच्चन की रचनाओं में प्रमुख रूप से मुक्तक शैली का स्थान है, जिसमें सरलता,स्वाभाविकता, संगीतमक्ता, प्रवहमयता जैसे गुण देखने को मिलते हैं।
हरिवंश राय बच्चन का साहित्य में योगदान Contribution of Harivansh Rai Bachchan in Literature
हरिवंश राय बच्चन छायोत्तरवाद युग के प्रमुख कवियों में से एक कवि है, जिन्होंने श्रृंगार के दोनों पक्षो को ध्यान में रखकर रचनाएँ की है, जिनकी पुष्टि मधुशाला, मधुकलश, सतरंगिनी जैसी रचनाओं से होती है। हरिवंश राय बच्चन की वें रचनाएँ जो उल्लास और वेदना से भरी है, ह्रदय को स्पर्श कर जाती है,
ऐसी रचनाएँ हिंदी साहित्य में बहुत सराहनीय योगदान देती है। आपने हिंदी साहित्य को सरलतापूर्वक भाषा में जन - जन तक पहुँचाने का कार्य किया है, जबकि हिंदी गीतों को नवीन दिशा प्रदान भी आपके द्वारा हुई है। सरलता संगीतमक्ता आपके काव्य की प्रमुख विशेषताएँ है।
हरिवंश राय बच्चन को पुरुस्कार और सम्मान Awards and Honors to Harivansh Rai Bachchan
हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के महान कवि है, जिन्होंने हिंदी साहित्य को अमूल्य रचनाएँ प्रदान की है। उनकी अद्भुत रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया है।
हरिवंश राय बच्चन को उनकी कृति दो चट्टानें के लिए 1968 में हिन्दी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि उनकी अन्य रचनाओं के लिए उन्हें 1968 में ही सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
बिड़ला फाउंडेशन ने उन्हें उनकी आत्मकथा के लिए सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया, जबकि भारत सरकार द्वारा उन्हें हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व योगदान के लिए 1976 में पद्म भूषण पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
हरिवंश राय बच्चन का साहित्य में स्थान Harivansh Rai Bachchan's place in literature
हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि गीतकार है, जिन्होंने मधुकलश जैसी अद्भुत रचनाएँ हिंदी साहित्य को प्रदान की है।
हरिवंश राय बच्चन ने श्रृंगार रस के दोनों पक्षो को ध्यान में रखकर रचनाएँ प्रदान की तथा विभिन्न गीत प्रदान किए, ऐसे महान कलाकार को हमेशा हिंदी साहित्य में आदरणीय स्थान प्रदान किया जाता रहेगा।
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