पादप जगत का वर्गीकरण Classification of plant kingdom
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख पादप जगत का वर्गीकरण (Classification of Plant kingdom) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप पादप जगत का वर्गीकरण पड़ेंगे।
तथा जानेंगे कि पादप जगत के अंतर्गत किन किन पादपो को रखा गया है, उनके लक्षण क्या है, तथा वे कहाँ पाए जाते हैं। तो आइए दोस्तों शुरू करते हैं, यह लेख पादप जगत का वर्गीकरण:-
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पादप किसे कहते है what is plant
वे सभी युकैरियोटिक (Eukaryotic) प्रकाश संश्लेषी,उत्पादक और स्वपोषी जीव जो वातावरण में स्वतंत्र रूप से अपना भोजन बना लेते हैं, उन सभी को पादप कहा जाता है। अधिकांश पादप संवहन ऊतक (Vascular tissue) युक्त होते है,
और पर्णहरिम की उपस्थिति से अपना भोजन स्वयं बनाते है। कुछ पादप चल, तथा अचल होते है। पादप जगत जीवो का एक बहुत बड़ा जगत है, जिसके अंतर्गत 3.5 लाख जीवों को शामिल किया गया है।
पादप का अर्थ Meaning of plant
पादप को अंग्रेजी में प्लांट कहते है, जिसका अर्थ होता है पौधा और वे सभी जीवधारी जो युकैरियोटिक (Eukaryotic) अधिकांश संवहन ऊतक युक्त प्रकाश संश्लेशी होते है, जो चल तथा अचल दोनों प्रकार के होते है। पादप का अर्थ पौधा, पेड़, वृक्ष भी होता है।
पादप की परिभाषा Defination of plant
एक कोशिकीय और बहुकोशिकीय युकैरियोटिक (Unicellular and multicellular Eukaryotic) अधिकांश प्रकाश संश्लेशी संवहन ऊतक युक्त जीव पादप होते है।
पादप जगत का वर्गीकरण Classification of plant kingdom
पादप जगत का वर्गीकरण उनके लक्षणों के आधार पर निम्न प्रकार से निम्नलिखित तीन वर्गों में वर्गीकरण (Classify) किया गया है:-
1. थैलोफाइटा Thallophyta
थैलोफाइटा (Thallophyta) पादप जगत का प्रारंभिक समूह माना जाता है, जिनके शरीर की संरचना अति सरल होती है। इनके शरीर में कई अंग जैसे जड़, तना और पत्तियाँ नहीं पाई जाती।
जबकि इन पादपों में संवहनीय ऊतक अनुपस्थित होते हैं। थैलोफाइटा के सभी पादप थैलस (thallus) के समान होते हैं, इसलिए इनका नाम भी थैलोफाइटा पड़ गया। थैलोफाइटा के अंतर्गत शैवाल, कवक, जीवाणु आदि जीवधारियों को सम्मिलित किया गया है।
2. ब्रायोफाइटा Bryophyta
ब्रायोफाइटा (Brayophyta) पादप जगत का दूसरा पादप वर्ग होता है। इसलिए यह थोड़ा विकसित समूह है। इसके नाम से ही ज्ञात होता है, कि इस वर्ग के पौधे भ्रूण (fetus) का निर्माण करते हैं।
किंतु इस पादप वर्ग में भी संवहनीय ऊतक अनुपस्थित होते हैं। यह पौधे अधिकतर आद्रता वाले स्थानों, नम स्थानों, छायादार स्थानों पर उगते हैं। ब्रायोफाइटा समूह के पौधे जलीय और स्थलीय दोनों प्रकार के होते हैं।
इसलिए इनको पादप जगत का एफीबियन वर्ग (Amphibian) कहा जाता है। ब्रायोफाइटा वर्ग का मुख्य पौधा युग्मकोदभिद (Gametophyte) माना जाता है,
जिसका सबसे बड़ा पौधा डासोनिया (Dasonia) होता है। इन पौधों में हरित लवक उपस्थित होता है इसलिए इनको स्वपोषी पौधे कहा जाता है। उदाहरण:- मॉस (Moss)
3. ट्रेकियोफाइटा Tracheophyta
पादप जगत का सबसे विकसित वर्ग ट्रेकियोफइटा (Tracheophyta) है, जो तीसरे नंबर पर आता है। ट्रेकियोफइटा में उन सभी पदपो (Plants) को शामिल किया गया है,
जिनमें संवहन ऊतक पाए जाते है। ट्रेकियोफइटा के अंतर्गत लगभग 2.75 लाख ज्ञात प्रजातियाँ हैं, जिनको निम्नलिखित तीन उपवर्गों में बांटा गया है।
1. टेरिडोफाइटा Pteridophyta
इस भाग में उन पौधों को रखा गया है, जिनमें पुष्पों और बीजों का निर्माण नहीं होता, जबकि शरीर, जड़ और तना, पत्ती में विभक्त होता है।
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) में संवहन ऊतक जाइलम (xylem) और फ्लोएम (Phloem) होते हैं, जो जल, खनिज लवण तथा भोजन का संवहन करते हैं। उदाहरण फर्न, साइलोटम आदि।
2. अनावृतबीजी Gymnosperm
अनावृतबीजी (Gymnosperm) पौधों के अंतर्गत उन सभी पादपों को शामिल किया गया है, जिनमें बीजों (Seeds) का निर्माण तो होता है, किंतु बीजों पर बाहरी खोल नहीं पाया जाता।
इन पौधों में अंडाशय (Ovaries) का पूरी तरह से अभाव होता है। इस उपवर्ग में लगभग 900 प्रजातियों को शामिल किया गया है। उदाहरण :- साइकस, पाइनस आदि।
3. आवृत्तबीजी Angiosperm
आवृत्तबीजी पौधे वे पौधे होते हैं, जिनमें बीज हमेशा फल के अंदर ही होते हैं। आवृत्तबीजी का अर्थ होता है, ढका हुआ (Coverd) बीज।
आवृत्तबीजी पादप जगत का सबसे बड़ा समूह होता है। इन पौधों का संवहन तंत्र बहुत ही विकसित प्रकार का तथा प्रजनन अंग पुष्प होता है।
आवृतबीजी पौधों के अंतर्गत झाड़ियाँ, शाक, वृक्ष तीनों प्रकार के पौधे आते हैं। इसलिए यह मनुष्य के लिए सबसे उपयोगी पादप समूह है। इनको निम्न में दो प्रकारों में बांटा गया है:-
1. एकबीजपत्री Monocotyledonae
एकबीजपत्री वे पौधे होते हैं, जिनके बीजों में एक बीजपत्र ही उपस्थित होता है। इनमें पुष्पों के तीन भाग या फिर उसके गुणांक में होते हैं, किंतु इनकी जड़े अधिक विकसित नहीं होती। उदाहरण :- लहसुन, प्याज, गन्ना नारियल, जौ आदि।
2. द्विबीजपत्री Dicotyledonae
द्विबीजपत्री पौधे उन पौधों को कहा जाता है, जिनके बीजों में दो ही बीजपत्र होते हैं। इन पौधों के पुष्पों के भाग चार या पांच के गुणांक में होते हैं। उदाहरण :- मूली, सरसों, मटर, संतरा, धनिया आदि।
पादप जगत के रोचक तथ्य interesting facts of plant world
- एसिटेबलेरिया (Acetableria) सबसे छोटा एककोशिकीय शैवाल होता है।
- नील हरित शैवाल को सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) कहा जाता है।
- डाउसोनिया (Downsonia) सबसे बड़ा ब्रायोफाइटा होता है, जबकि सबसे छोटा ब्रायोफाइटा जुओप्सिस (zoopsis) होता है।
- फर्न (Fern) टेरिडोफाइटा समूह का सबसे विख्यात पौधा होता है।
- साइकस (Sykes) को जीवित जीवाश्म कहा जाता है जो अनावृतबीजी पौधा है।
- लॉन्ग का तेल यूरेनाल से प्राप्त किया जाता है।
- कुकरबिटेसी को सब्जी कुल के नाम से जाना जाता है।
- ब्रायोफाइटा पौधे मृदा अपरदन को रोकने में सहायता देते हैं, क्योंकि इनकी जल अवशोषण क्षमता उच्च होती है।
- शैवाल में तीन प्रकार के वर्णक लाल हरा और भूरा होता है।
दोस्तों इस लेख में आपने पादप जगत का वर्गीकरण (Classification of plant kingdom) पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
FAQS for Plant Kingdome
Q 1. पादप जगत को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है?
Ans. पादप जगत को थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, ट्रेकियोफइटा तीन वर्गों में विभक्त किया गया है।
Q.2. पादप जगत का उभयचर किसे कहा जाता है?
Ans. ब्रायोफाइटा वर्ग को पादप जगत का उभयचर कहा जाता है।
Q.3. पादप जगत का वर्गीकरण किसने किया?
Ans. पादप जगत का वर्गीकरण थियोफ्रेस्टस महोदय ने किया।
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