प्रेमचंद्र का जीवन परिचय Class 11 Biography of Munshi Premchandra in hindi
हैलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन परिचय कक्षा 11 (Munshi PremChandra ka jivan parichay class 11) में। हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट कहे जाने वाले
मुंशी प्रेमचंद्र जी का जीवन परिचय, प्रेमचंद के साहित्यिक परिचय में आप उनके निजी जीवन के साथ उनकी रचनाओं उनकी भाषा शैली तथा मुंशी प्रेमचंद जी का साहित्य में स्थान के बारे में भी जानेंगे।
मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन परिचय कक्षा 7, 8,9, 10,11, 12 के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। तो दोस्तों आइए शुरू करते हैं, हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन परिचय:-
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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय Class 11 Introduction of Munshi Premchandra
हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट एवं महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद्र जी का जन्म वाराणसी के निकट लमही गांव में 31 जुलाई 1880 में हुआ था।
मुंशी प्रेमचंद्र जी का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव (Dhanpat Rai Shrivastav) था, जबकि उन्हें नवाब राय के नाम से भी बुलाया जाता था।
मुंशी प्रेमचंद के पिताजी का नाम अजायबराय था। अजायबराय उस समय लमही के डाकमुंशी (DaakMunshi) का कार्य किया करते थे।
जबकि मुंशी प्रेमचंद जी की माता जी का नाम आनंदी देवी (Aanadi Devi) था, जो एक धार्मिक (Religious) तथा संस्कारवान महिला थी।
बताया जाता है, कि मुंशी प्रेमचंद की माता जी का निधन उस वक्त हो गया था, जब मुंशी प्रेमचंद 7 वर्ष के थे, उनके पिता ने दूसरी शादी की तो सौतेली माँ आने के कारण उन्हें कई कष्टों का सामना करना पड़ा।
मुंशी प्रेमचंद का विवाह 15 वर्ष की उम्र में हुआ था, किंतु उनके विवाह के 1 वर्ष पश्चात ही मुंशी प्रेमचंद जी के पिताजी का भी निधन हो गया।
इस कारण उनका जीवन और संघर्षमय हो गया। मुंशी प्रेमचंद्र ने अपने जीवन (Life) में बहुत कुछ देखा, इसलिए 16 साल की उम्र में ही उन्हें जीवन का काफी अनुभव हो गया था।
मुंशी प्रेमचंद का दूसरा विवाह शिवरानी देवी से हुआ. जिनसे उनकी तीन संतान उत्पन्न हुई श्रीपतराय, अमृतराय और कमला देवी।
मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा Education
मुंशी प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा फारसी भाषा में शुरू हुई थी और उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में ही तिलिस्मे होशरूबा पढ़ लिया था।
मुंशी प्रेमचंद को बचपन में अपने माता-पिता के गुजर जाने के बाद कई दुखों का सामना करना पड़ा, किंतु उन्होंने अपना अध्ययन नहीं छोड़ा और
1898 में मैट्रिक (High School) की परीक्षा पास की मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने पास ही के एक विद्यालय में शिक्षक (Teacher) की नौकरी कर ली।
नौकरी के साथ ही उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा और इंटर 1910 में अंग्रेजी,फारसी इतिहास तथा दर्शनशास्त्र लेकर पास कर ली।
मुंशी प्रेमचंद ने 1919 में अंग्रेजी, फारसी और इतिहास विषय के साथ बीए (Bachlor of Arts) पास किया तथा इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुए।
1922 में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन के प्रभाव में आकर यह नौकरी छोड़ दी तथा लेखन का कार्य करने लगे।
मुंशी प्रेमचंद्र की प्रमुख रचनाएँ Composition
मुंशी प्रेमचंद को हिंदी और उर्दू के प्रसिद्ध कवि (Prominent Poet) उपन्यासकार, कहानीकार आदि के नाम से जाना जाता है।
मुंशी प्रेमचंद ने लगभग एक दर्जन उपन्यास और 300 छोटी बड़ी कहानियाँ लिखी हैं। इनकी कहानियाँ मानसरोवर नाम से आठ भागों में संकलित हैं, मुंशी प्रेमचंद की कुछ कृतियाँ निम्न प्रकार से हैं:-
- उपन्यास - मुंशी प्रेमचंद ने लगभग एक दर्जन उपन्यासों की रचना की है, जिनमें से रंगभूमि, निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रय,प्रतिज्ञा,गोदान, गवन,कर्मभूमि आदि प्रसिद्ध उपन्यास है।
- कहानी - मुंशी प्रेमचंद ने छोटी बड़ी 300 से अधिक कहानियाँ लिखी हैं। जिनमें से अंधेर, अनाथ लड़की, शराब की दुकान, कप्तान साहब, बड़े घर की बेटी, बड़े भाई साहब, मिलाप, स्वर्ग की देवी, परीक्षा, पूस की रात, दिल की रानी, आदि प्रमुख कहानियाँ हैं।
- नाटक - मुंशी प्रेमचंद एक सफल नाटककार भी है, उन्होंने किसानों पर आधारित नाटक संग्राम 1923 में लिखा। इसके साथ ही कर्बला और प्रेम की वेदी भी उनके प्रसिद्ध नाटक हैं।
- निबंध - मुंशी प्रेमचंद जी ने स्वराज के फायदे, कहानी कला, महाजन की सभ्यता, हिंदी उर्दू की एकता आदि प्रसिद्ध निबंध है।
मुंशी प्रेमचंद की भाषा शैली Munshi Premchandra ki Bhasha shaili
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में हिंदी की खड़ी बोली के शब्दों का प्रयोग सरल सहज बोधगम्य और व्यवहारिक रूप में किया है।
मुंशी प्रेमचंद्र उर्दू के भी विख्यात ज्ञाता थे उर्दू के शब्दों का प्रयोग उन्होंने हिंदी भाषा में भी किया है, इसलिए उनकी भाषा सरल प्रभावशाली व्यवहारी तथा मुहावरेदार बन गई है।
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में उर्दू की लोकोक्तियाँ और मुहावरे का प्रयोग कर उसे अलंकारिक और सुन्दर भी बना दिया है।
बड़े भाई साहब, पूस की रात आदि कई रचनाएँ ऐसी है, जिन की भाषा अत्यंत बोधगम्य तथा सरल और पात्रों के अनुसार परिवर्तित हो जाती है।
मुंशी प्रेमचंद की शैली बहुत ही आकर्षक ममस्पर्शी है। उन्होंने 16 साल की उम्र में ही जीवन के काफी अनुभवों को सीख लिया था।
इसलिए समाज में व्याप्त होने वाली बुराई, दुखों और कष्टों की मार्मिकता व्यापकता भी उनकी शैली में देखने को मिलती है। मुंशी प्रेमचंद्र की कहानी पाठक के दिल को छू लेती है।
मुंशी प्रेमचंद के साहित्य विशेषताएँ Sahityik Visheshtayen
मुंशी प्रेमचंद के साहित्य की सबसे ऊंची आवाज है, "राष्ट्रीय जागरण और समाज सुधार " मुंशी प्रेमचंद्र जी ने देशभक्ति के प्रबल स्वर के कारण कई कहानी संग्रह लिखे हैं,
जिनमें एक है "खोजे बताना" इसको तो अंग्रेज सरकार (English Govt) ने जप्त ही कर लिया था। मुंशी प्रेमचंद की साहित्य की विशेषताएँ है,
कि समाज में होने वाली कई बुराइयों को दूर करने के लिए उन्होंने विभिन्न प्रकार की रचनाएँ की हैं। उन बुराइयों में दहेज, अनमेल विवाह है,
बाल विवाह, नशाखोरी, बहु विवाह, छुआछूत, ऊंच- नीच आदि को अधिक महत्व दिया है। नारी की छवि को उठाने में तथा उसे समाज में प्रतिष्ठित स्थान दिलाने में उनकी रचनाओं का
सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था दूर करने का भी प्रयास किया है।
मुंशी प्रेमचंद का साहित्य में स्थान Munshi Premchandra ka sahitya me sthan
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद जी का अतुलनीय योगदान है, उनके उपन्यासों के साथ ही उनकी कहानियों में भी यथार्थवादी चित्रण देखने को मिलता है।
मुंशी प्रेमचंद ने कहानी और उपन्यासों के माध्यम से लोगों को साहित्य से जोड़ने का प्रयास तो किया ही है, साथ ही में समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की बुराइयाँ
जैसे - शोषण नशा, बाल विवाह प्रथा आदि को दूर करने पर भी जोर दिया है। मुंशी प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट के नाम से भी जाना जाता है।
अतः कहा जा सकता है, कि मुंशी प्रेमचंद का साहित्य में एक ऐसा स्थान है, जिसका वर्णन करना शब्दों में तो मुश्किल ही है।
हैलो दोस्तों इस लेख में आपने मुंशी प्रेमचंद्र जी का जीवन परिचय class 11 ((Munshi PremChandra ka jivan parichay class 11) ) प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय pdf पढ़ा, आशा करता हुँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
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