संघ सीलेंट्रेटा के प्रमुख लक्षण Sangh silentreta ke lakshan
हैलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है. हमारे इस लेख संघ सीलेंट्रेटा के प्रमुख लक्षणों (phylum Coelenterata ke pramukh lakshan) में दोस्तों इस लेख में आप महत्वपूर्ण संघ सीलेंट्रेटा के
जीव-जंतुओं के प्रमुख लक्षणों नामकरण वर्गीकरण आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जानेंगे तो दोस्तों आइए शुरू करते हैं संघ सीलेंट्रेटा के प्रमुख लक्षण:-
इसे भी पढ़े:- संघ अर्थ्रोपोडा के मुख्य लक्षण वर्गीकरण
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संघ सीलेंट्रेटा क्या है what is Phylum Coelenterata
संघ सीलेंट्रेटा में उन जंतुओं (Animlas) को रखा गया है, जिनका शारीरिक संगठन कोशिकीय या ऊतकीय प्रकार का होता है।
ऐसे जंतु होते हैं, जिनकी देहगुहा खोखली पाई जाती है तथा इसके साथ ही इनकी देहगुहा में विशेष प्रकार की संरचना दंश कोशिकाएं भी उपस्थित होती हैं।जो संघ सीलेन्ट्रेटा का प्रमुख लक्षण है।
इनकी खोखली देहगुहा के आधार पर इनको सीलेंट्रेटा नाम दिया गया सीलेंट्रेटा शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है "Coel" जिसका अर्थ होता है "Hollow" अर्थात खोखली और Enteron जिसका अर्थ है
Cavity अर्थात गुहा इस लिए इन्हे खोखली गुहाधारक कहा जाता है,अर्थात संघ सीलेन्ट्रेटा के जीवों के लक्षणों में खोखली देहगुहा का लक्षण सभी में पाया जाता है।
इस संघ का अन्य नाम नीडेरिया है जिसका अर्थ knide मतलब दंश कोशिका धारण करने वाला है। संघ सीलेन्ट्रेटा के जंतुओं की लगभग 10,000 प्रजतियाँ वर्तमान में ज्ञात है।
नामकरण Nomenclature
संघ सीलेन्ट्रेटा का नामकरण में सर्वप्रमुख भूमिका ल्यूकार्ट (Lucart) नामक वैज्ञानिक की थी. इन्होने 1847 में संघ सीलेन्ट्रेटा की स्थापना की.
जबकि इन जंतुओं का सामान्य नाम केंद्रीय गुहा धारक और दंश कोशिका धारक जंतु है। कियोकि संघ सीलेंट्रेटा के यह मुख्य लक्षण हैं।
संघ सीलेन्ट्रेटा के सामान्य लक्षण Phylum Coelenterata ke Samanya Lakshan
- आवास एवं प्रकृति - संघ सीलेंट्रेटा के अधिकांश जंतु जलीय होते हैं, जिनमें कुछ समुद्र जलीय तथा कुछ जंतु स्वच्छ जलीय भी होते हैं, जो एकल तथा संगठन में रहना पसंद करते हैं।
- शारीरिक आकृति - संघ सीलेंट्रेटा के जंतुओं का मुख्य लक्षण शारीरिक आकृति भी है सामान था यह जंतु द्विरूपीय जंतु होते हैं, जिनको पॉलिप और मेडूसा कहा जाता है इनमें जो पुलिस होता है वह बेलना कार का और मेडूसा गोलाकार छाते के जैसा दिखाई देता है।
- शारीरिक संगठन - इन जंतुओं का शारीरिक संगठन कोशिकीय स्तर का तथा उप - ऊतकीय स्तर का होता है, क्योंकि इनमें पूरी तरह से उतर स्तर का निर्माण नहीं हो पाता है।
- जनन स्तर - संघ सीलेंट्रेटा के जंतु द्विजनन स्तर एक्टोडर्म तथा इंडोडर्म प्रदर्शित करते हैं तथा इन दोनों स्तरो के मध्य जिलेटिन का बना हुआ एक स्तर पाया जाता है, जिसे मीजोगलिया कहा जाता है।
- देह भित्ति और बाह्य कंकाल - संघ सीलेंट्रेटा के जंतुओं के शरीर की देह भित्ति का बाहरी स्तर एपिडर्मिस (Epidermis) कहलाता है जो, कि एक्टोडर्म (Ectoderm) से विकसित होता है, जबकि इनका भीतरी स्तर का नाम गैस्ट्रोडर्मिस होता है जो एंडोडर्मिस से विकसित होता है सामान्यतः इन जंतुओं में बाह्य कंकाल (Exoskeleton) अनुपस्थित होता है, किंतु कुछ जंतुओं में प्रोटीन का बना हुआ बाह्य कंकाल पाया जाता है।
- पेशी तंत्र एवं प्रचलन - संघ सीलेंट्रेटा के अधिकांश जंतु स्थानबद्ध होते हैं, किंतु कुछ जंतुओं में विभिन्न प्रकार के प्रचलन हेतु पेशी कोशिकाएं देहभित्ति में पाई जाती हैं।संघ सीलेंट्रेटा के कई प्राणियों में संकुचनशील तंतु भी पाए जाते हैं, जिनसे संघ सीलेंट्रेटा के प्राणियों को चलने में सहायता मिलती है।
- पोषण (Nutrition) - वे जंतु मांसाहारी प्रवृत्ति के होते हैं संघ सीलेंट्रेटा के शरीर में एक लंबी खोखली गुहा पाई जाती है, जिसे सीलंट्रान के नाम से जाना जाता है, सीलंट्रान आहार नाल की तरह कार्य करती है और भोजन मुख्य द्वारा प्रवेश करता है।
- उत्सर्जन तंत्र परिसंचरण तंत्र स्वसन तंत्र - संघ सीलेंट्रेटा के जंतुओं में उत्सर्जन तंत्र परिसंचरण तंत्र और स्वतंत्र तंत्र नहीं पाया जाता है इन तीनों अंगों का कार्य शारीरिक सतह के द्वारा ही होता है।
- दंश कोशिकाएँ - संघ सीलेंट्रेटा के प्राणियों में दंश कोशिकाएँ जंतु को पकड़ने, सुरक्षा में तथा प्रचलन में मदद करती हैं।
- तंत्रिका तंत्र और संवेदी अंग - संघ सीलेंट्रेटा के जंतुओं में निम्न कोटि का तंत्रिका तंत्र उपस्थित होता है यह तंत्रिका तंत्र बहूध्रुवीय तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। संघ सीलेंट्रेटा के प्राणियों में संवेदी अंग मेडूसा होते है, जो संस्पर्शक के आधार पर तेन्तेकुलोसिस्ट और स्टेटोसिस्ट पाए जाते हैं, जो स्पर्श और संतुलन का काम करते हैं।
- प्रजनन तंत्र (Reproduction system) - संघ सीलेंट्रेटा के जंतु एक लिंगीय तथा द्विलिंगी होते हैं इनमें अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction) मुकुलन के द्वारा और खंडन के द्वारा होता है जबकि लैंगिक प्रजनन युग्मकों के द्वारा किया जाता है
- लार्वा अवस्था (Larva Stage) - संघ सीलेंट्रेटा के जंतुओं के परिवर्धन में प्लेनुला लारवा विकसित होते हैं
- पीढ़ियों का एकांतरण - संघ सीलेंट्रेटा के जंतुओं का स्वतंत्र मेडूसा पीढ़ी स्थानबद्ध पीढ़ी पॉलिप का निर्माण करती है, जिससे फिर से मेडूसा पीढ़ी में रूपांतरण हो जाती है, इस प्रकार अलैंगिक मेडूसा के द्वारा लैंगिक युगमकों का निर्माण होता है जो पोलिप अवस्था के द्वारा मेडूसा का निर्माण करते हैं इस घटना को मिटाजेनेसिस (Metaginesis) कहा जाता है।
संघ सीलेंट्रेटा का वर्गीकरण Classification of Phylum Coelenterata
संघ सीलेंट्रेटा का प्रमुख लक्षणों के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार हैं
1. वर्ग Class - हाइड्रोजोआ Hydrozoa
हाइड्रोजोआ दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पहला हाइड्रो hydro = water = जल दूसरा zoids = animals = जंतु इस प्रकार से कह सकते हैं कि हाइड्रोजोआ सीलेंट्रेटा संघ का वह वर्ग है जिसमें सभी प्राणी जलीय होते हैं
सामान्य लक्षण common symptoms
इस वर्ग के जंतु अधिकांश समुद्री जल में पाए जाते हैं जबकि कुछ स्वच्छ जल में भी पाए जाते हैं
- इस वर्ग के अधिकांश प्राणी निवही होते हैं
- अधिकांश हाइड्रोजोआ वर्ग के प्राणी बहुरूपी होते हैं
- इन प्राणियों में अलैंगिक पोलिप और लैंगिक मैडूसा मैं रूपांतरण होता है
- मेडूसा अवस्था छतरी नुमा जबकि पोलिप अवस्था बेलनाकर होती है
उदाहरण - हाइड्रा ओबीलिया वेलेला पोर्पीटा आदि
2.वर्ग class - साइफोजोआ skyphozoa
साइफोजोआ दो शब्दो से मिलकर बना है skypho = कप = प्याला तथा zooid = animals = जंतु इस प्रकार से साइफोजोआ वे जंतु है जो आकार में कप प्याले के समान होते है।
सामान्य लक्षण common symptoms
- सभी समुद्री प्राणी एकाकी होते हैं
- इन प्राणियों के मेडूसा में बिलम का अभाव होता है
- कोशिकाओं की उत्पत्ति अन्तश्चर्म नालों की अन्तराली कोशिकाओं के द्वारा होती है।
- अधिकांश प्राणी अंडे द्वारा हाइड्राइड अवस्था द्वारा परिवर्धित होते है।
- मीसॉलिया मोटी जैली समान एवं कोशिकायुक्त होती है।
उदाहरण - एटोला ओरेलिया आदि
3.वर्ग Class - एंथोजोआ Anthozoa
वर्ग एंथोजोआ भी दो शब्दों anthos = flower = फूल और zooid = animals = जंतु अर्थात एंथोजोआ वर्ग में उन प्राणियों को शामिल किया गया जिनका आकार फूल के समान होता है
सामान्य लक्षण common symptoms
- सभी प्राणी एकल तथा निवही होते है जो किसी आधार से चिपके होते है
- इनमें पोलिप अवस्था ही पायी जाती है
- शरीर प्रायः बेलनाकार होता है.
- जनद का निर्माण इंडोडर्म की कोशिकाओं से होता है।
- मुख स्तोमोडियम तथा गलेट के द्वारा आंत में खुलता है।
- इनमें CaCo3 का बाह्य कंकाल पाया जाता है।
उदाहरण - फन्जिया एस्ट्रिया आदि
फाइलम सीलेन्ट्रेटा (नीडेरिया) के दो उदाहरण Example of phylum Coelentereta
फन्जिया (Fungia)
वर्गीकरण Classification- संघ (Phylum) - सीलेन्ट्रेटा (Coelenterata)
- वर्ग (Class) - एंथोजोआ (Anthozoa)
- गण (Order)- मेडरिपोरेरिया (Madreporaria)
- वंश (Genus) - फन्जिया (Fungia)
सामान्य लक्षण common symptoms
- इसको मशरूम कोरल भी कहा जाता है
- मशरूम को दीर्घ आकार का वृत्ताकार कोरेलाइट होता है इसकी ऊपरी सतह उत्तल तथा निचली अवतल होती है।
- इस कोरल के केंद्रीय भाग से पट विकसित होते हैं, यह सेप्टा एक दूसरे से साइनेप्टिकुली के द्वारा संबंधित रहते हैं।
- कोरल की निचली सतह पर थीका (Theca) पाया जाता है
- वयस्क कोरल में एक पोलिप अवस्था होती है, जिसमें अनेक स्पर्शक होते हैं.
- अनुप्रस्थ विखंडन के द्वारा एवं प्रजनन होता है
पिन्नेटुला |
पिन्नेटुला Pinnetula
वर्गीकरण (Classification)- संघ (Phylum) - सीलेन्ट्रेटा (Coelenterata)
- वर्ग (Class) - एक्टीनोजोआ (Actinozoa)
- गण (Order)- पिन्नेटुलेशिया ( Pannatulacea )
- वंश (Genus) - पिन्नेटुला (Pennatula)
सामान्य लक्षण common symptoms
- यह समुद्र जल में पाए जाने वाले निवही और स्थिर प्राणी है
- इन जीवों को समुद्री पंख या समुद्री कलम कहते है
- निवह का लम्बा और अक्षीय पोलिप का आधारीय भाग वृन्त होता है, यह मिट्टी में धंसा रहता है.
- जबकि दूर का भाग प्राक्ष होता है जिस पर लम्बी चपटी मांसल पत्तियाँ लगी होती है जिन्हे पिच्छक कहते है।
- पिच्छीकाओं पर दो प्रकार के जीवक होते है। पोषक जीवक (एंथोकोडिया) पिच्छिका के ऊपरी किनारे पर साईफ़ोनोजूआईएडस प्राक्ष के पाशर्व किनारे के साथ स्थित होते है।
दोस्तों आप सभी ने इस लेख में संघ सिलेंट्रेटा के जंतुओं का प्रमुख लक्षण (Phylum Coelenterata ke pramukh lakshan) वर्गीकरण नामकरण आदि के बारे में पढ़ा आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
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